” प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) “

प्रधानमंत्री फसल बीमा किसान का सहयोगी

“प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से लाभ कैसे मिले ”प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): फसल खराबे पर हर किसान को मिलेगा लाभ, जानिए पूरी प्रक्रिया

परिचय:  हर जागरूक किसान के लिए ज़रूरी है फसल बीमा अन्यथा बीमा की राशि का आर्थिक नुकसान ही होता है 

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की रीढ़ हमारे किसान हैं, लेकिन उनकी मेहनत अक्सर प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, और कीट रोगों के सामने बेबस हो जाती है। एक आपदा पूरे परिवार की आजीविका पर संकट ला सकती है। इसी संकट से किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए भारत सरकार ने 18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की।

यह योजना न केवल फसल नुकसान की भरपाई करती है, बल्कि किसानों को खेती-किसानी जारी रखने के लिए एक आत्मविश्वास और स्थिरता भी प्रदान करती है। इस लेख का उद्देश्य आपको PMFBY की पूरी जानकारी देना है, ताकि आप फसल खराबे की स्थिति में एक भी गलती न करें और निश्चित रूप से अपने बीमा क्लेम का लाभ उठा सकें।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से लाभ कैसे मिले ”

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): फसल खराबे पर हर किसान को मिलेगा लाभ, जानिए पूरी प्रक्रिया

फसल नुकसान देख बिलखता किसान, फसल बीमा जरूरी है
प्रधानमंत्री फसल बीमा ही एक विकल्प

परिचय:  हर जागरूक किसान के लिए ज़रूरी है फसल बीमा अन्यथा बीमा की राशि का आर्थिक नुकसान ही होता है

भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की रीढ़ हमारे किसान हैं, लेकिन उनकी मेहनत अक्सर प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, और कीट रोगों के सामने बेबस हो जाती है। एक आपदा पूरे परिवार की आजीविका पर संकट ला सकती है। इसी संकट से किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए भारत सरकार ने 18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की।

यह योजना न केवल फसल नुकसान की भरपाई करती है, बल्कि किसानों को खेती-किसानी जारी रखने के लिए एक आत्मविश्वास और स्थिरता भी प्रदान करती है। इस लेख का उद्देश्य आपको PMFBY की पूरी जानकारी देना है, ताकि आप फसल खराबे की स्थिति में एक भी गलती न करें और निश्चित रूप से अपने बीमा क्लेम का लाभ उठा सकें।

1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: एक नज़र में

PMFBY का मुख्य लक्ष्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल को हुए नुकसान के खिलाफ किसानों को एक किफायती और व्यापक बीमा कवर देना है। इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान को प्रीमियम का बहुत कम हिस्सा देना होता है, जबकि शेष बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करती हैं।

योजना की मुख्य विशेषताएं:

 * कम प्रीमियम दरें:

   * खरीफ की फसलें (धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना, आदि): बीमित राशि का केवल 2.0% प्रीमियम।

   * रबी की फसलें (गेहूं, जौ, चना, सरसों, आदि): बीमित राशि का केवल 1.5% प्रीमियम।

   * वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलें: बीमित राशि का केवल 5.0% प्रीमियम।

 * सरकार की सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं: अगर शेष प्रीमियम 90% भी होता है, तो वह सरकार द्वारा भरा जाएगा। यह किसानों के लिए बीमा को बेहद सुलभ बनाता है।

 * सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक 2020 से यह योजना सभी किसानों (कर्जदार और गैर-कर्जदार दोनों) के लिए स्वैच्छिक (Voluntary) कर दी गई है।

1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: एक नज़र में

(PMFBY)प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना  का मुख्य लक्ष्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल को हुए नुकसान के खिलाफ किसानों को एक किफायती और व्यापक बीमा कवर देना है। इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान को प्रीमियम का बहुत कम हिस्सा देना होता है, जबकि शेष बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करती हैं।

योजना की मुख्य विशेषताएं:

 * कम प्रीमियम दरें:

   * खरीफ की फसलें (धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना, आदि): बीमित राशि का केवल 2.0% प्रीमियम।

   * रबी की फसलें (गेहूं, जौ, चना, सरसों, आदि): बीमित राशि का केवल 1.5% प्रीमियम।

   * वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलें: बीमित राशि का केवल 5.0% प्रीमियम।

 * सरकार की सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं: अगर शेष प्रीमियम 90% भी होता है, तो वह सरकार द्वारा भरा जाएगा। यह किसानों के लिए  को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बेहद सुलभ बनाता है।

 * सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक: 2020 से यह योजना सभी किसानों (कर्जदार और गैर-कर्जदार दोनों) के लिए स्वैच्छिक (Voluntary) कर दी गई है।

2. कौन-कौन से जोखिम (RIsks) कवर होते हैं?

(PMFBY) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना  एक व्यापक जोखिम कवर प्रदान करती है, जो फसल कटाई के बाद तक की अवस्थाओं को कवर करता है।

(क) बुवाई/रोपण से पहले का जोखिम (Prevented Sowing/Planting Risk)

अगर कम वर्षा या प्रतिकूल मौसमी स्थितियों के कारण किसान अधिसूचित क्षेत्र में अपनी फसल की बुवाई या रोपण नहीं कर पाता है, तो वह बीमित राशि के 25% तक के क्लेम के लिए पात्र हो सकता है।

(ख) खड़ी फसल का जोखिम (Standing Crop – Sowing to Harvesting)

यह सबसे महत्वपूर्ण कवर है, जो निम्नलिखित गैर-रोकथाम योग्य जोखिमों के कारण फसल के नुकसान को कवर करता है:

 * सूखा (Drought) और शुष्क अवधि (Dry Spells)

 * बाढ़ (Flood) और जलभराव (Inundation)

 * कीट और रोग (Pests and Diseases)

 * भूस्खलन (Landslides)

 * प्राकृतिक आग (Natural Fire) और बिजली गिरना (Lightening)

 * तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी (Storm, Hailstorm, Cyclone, etc.)

(ग) स्थानीयकृत आपदाएं (Localized Calamities)

यह जोखिम अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषि भूमि को प्रभावित करने वाली आपदाओं के लिए है। यानी अगर नुकसान किसी छोटे क्षेत्र में हुआ है, तो भी  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कवर मिलेगा। इसमें शामिल हैं:

 * ओलावृष्टि (Hailstorm)

 * भूस्खलन (Landslide)

 *बेमौसम वर्षा (Unsesional Rains), जलभराव (Inundation) इत्यादि

(घ) कटाई के बाद का नुकसान (Post-Harvest Losses)

pmfby के फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए किसान जागरूकता जरूरी हैं फसल कटाई के दौरान ख़राब  फसल का क्लेम करना जरूरी होता है
प्रधानमंत्री फसल बीमा से बीमा कम्पनी मालामाल, किसान बेहाल ||

यह किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। कटाई के बाद फसल को खेत में सुखाने के लिए रखा जाता है, और यदि इस दौरान चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, या बेमौसम बारिश से 14 दिनों के भीतर नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई की जाती है।यह किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। कटाई के बाद फसल को खेत में सुखाने के लिए रखा जाता है, और यदि इस दौरान चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, या बेमौसम बारिश से 14 दिनों के भीतर नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई की जाती है।

3. हर किसान को लाभ दिलाने के लिए:  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्लेम की चरण-दर-चरण प्रक्रिया

फसल खराब होने पर किसानों को सबसे बड़ी समस्या सही समय पर और सही तरीके से क्लेम दर्ज करने की आती है। क्लेम का लाभ सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना अनिवार्य है :

चरण 1: फसल नुकसान की तत्काल सूचना (Intimation)

यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है। किसी भी आपदा से फसल खराब होने पर, किसान को 72 घंटे (3 दिन) के भीतर इसकी सूचना बीमा कंपनी या संबंधित विभाग को देनी होगी। यदि आप 72 घंटे की समय-सीमा चूक जाते हैं, तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है।

सूचना देने के तरीके:

 * Crop Insurence  मोबाइल एप, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP), किसान सीधे ( PMFBY) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल पर अपनी फसल नुकसान की जानकारी (खसरा नंबर सहित) दर्ज कर सकते हैं।

 * टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर: सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 14447 पर कॉल करके। इसके अलावा, राज्य-विशिष्ट और बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर भी उपलब्ध होते हैं ।

 * कृषि रक्षक पोर्टल: कई राज्यों में ‘कृषि रक्षक पोर्टल’ के माध्यम से भी सूचना दी जा सकती है।

 * नजदीकी कृषि कार्यालय/बैंक: अपने कृषि पर्यवेक्षक, जिला कृषि अधिकारी (DAO), या उस बैंक शाखा को सूचित करें जहाँ से आपने लोन लिया है या बीमा कराया है।

 * बीमा कंपनी का स्थानीय कार्यालय: संबंधित बीमा कंपनी के स्थानीय प्रतिनिधि को भी सूचना दें।

सूचना में क्या जानकारी दें:

 * पॉलिसी/बीमा खाता संख्या।

 * नुकसान की तारीख और समय (लगभग)।

 * खसरा संख्या (Survey Number) के साथ बीमित फसल और प्रभावित क्षेत्र (Acreage)।

 * नुकसान के कारण (उदाहरण: बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि)।

 * नुकसान की तस्वीरें (GPS-टैग वाली तस्वीरें अधिक विश्वसनीय मानी जाती हैं)।

चरण 2: नुकसान का आकलन (Loss Assessment)

बेमौसम बारिश से फसल नुकसान देखता किसान
फसल बीमा के नुकसान की सूचना देता  किसान

किसान द्वारा सूचना देने के बाद, बीमा कंपनी 48 से 72 घंटों के भीतर एक सर्वेयर (Surveyor) नियुक्त करती है। यह सर्वेयर कृषि विभाग के अधिकारियों के सहयोग से खेत पर जाकर नुकसान का आकलन करता है।

 * स्थानीयकृत नुकसान: इस तरह के नुकसान का आकलन व्यक्तिगत किसान के खेत पर किया जाता है।

 * व्यापक नुकसान (सूखा/बाढ़): बड़े क्षेत्र में होने वाले व्यापक नुकसान का आकलन फसल कटाई प्रयोगों (Crop Cutting Experiments – CCE) के डेटा और अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: दावा निपटान (Claim Settlement)

सर्वे और आकलन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद:

 * बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति की गणना करती है।

 * दावा राशि की गणना के बाद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसान का प्रीमियम सरकार के हिस्से सहित बीमा कंपनी को मिल गया हो।

 * क्लेम की राशि सीधे किसान के बैंक खाते (Direct Benefit Transfer – DBT) में जमा कर दी जाती है।

 * लक्ष्य यह होता है कि आकलन पूरा होने और सरकार की अधिसूचना मिलने के 30 दिनों के भीतर दावा राशि का भुगतान कर दिया जाए।

4. बीमा कराने की प्रक्रिया: कौन पात्र है और कैसे कराएं?

योजना का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले बीमा कराना ज़रूरी है।

कौन बीमा करा सकता है? (पात्रता)

 * सभी किसान: राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले सभी किसान पात्र हैं।

 * कर्जदार किसान (Loanee Farmers): वे किसान जो बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से या मौसमी कृषि कार्यों (SAO) के लिए लोन लेते हैं, उनका बीमा बैंक द्वारा स्वतः ही कर दिया जाता है, बशर्ते उन्होंने लिखित में मना न किया हो (2020 के बाद यह स्वैच्छिक है)। 

* गैर-कर्जदार किसान (Non-Loanee Farmers): वे सभी किसान जिनके पास खेती योग्य जमीन है या जो किरायेदार (Tenant/Sharecropper) हैं, स्वेच्छा से बीमा करा सकते हैं।

बीमा कराने के मुख्य तरीके

 * बैंक/वित्तीय संस्थाएं: लोन लेने वाले किसान संबंधित बैंक शाखा से संपर्क कर सकते हैं। गैर-कर्जदार किसान भी किसी भी बैंक शाखा से संपर्क कर सकते हैं।

 * कॉमन सर्विस सेंटर (CSC): देशभर में मौजूद CSCs के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।

 * बीमा कंपनी के एजेंट: अधिसूचित बीमा कंपनी के स्थानीय एजेंट या प्रतिनिधि से संपर्क करें।

 * राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (PMFBY Portal): किसान स्वयं पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज़

गैर-कर्जदार किसानों को मुख्य रूप से ये दस्तावेज़ चाहिए होते हैं:

 * जमीन के दस्तावेज़: ज़मीन का रिकॉर्ड (खतौनी/खसरा/रिकॉर्ड ऑफ राइट्स – RoR)।

 * पहचान प्रमाण: आधार कार्ड।

 * बैंक पासबुक: स्पष्ट रूप से किसान का नाम, खाता संख्या और IFSC कोड होना चाहिए (DBT के लिए)।

 * फसल बुवाई प्रमाण पत्र (CSC): यदि राज्य सरकार द्वारा अनिवार्य हो।

 * किरायेदार किसानों के लिए: भूमि मालिक के साथ अनुबंध दस्तावेज़ या राज्य द्वारा निर्धारित कोई अन्य दस्तावेज़। * गैर-कर्जदार किसान (Non-Loanee Farmers): वे सभी किसान जिनके पास खेती योग्य जमीन है या जो किरायेदार (Tenant/Sharecropper) हैं, स्वेच्छा से बीमा करा सकते हैं।

5. क्लेम में देरी या समस्या होने पर क्या करें?

कई बार प्रशासनिक कमियों या डेटा बेमेल के कारण क्लेम मिलने में देरी हो सकती है। इस स्थिति में किसान इन उपायों का सहारा ले सकते हैं:

 * शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism): हर बीमा कंपनी और राज्य/जिला स्तर पर शिकायत निवारण के लिए नोडल अधिकारी होते हैं। किसान को सबसे पहले उन्हीं से संपर्क करना चाहिए।

 * जिला/राज्य स्तरीय समितियाँ: जिला और राज्य स्तर पर फसल बीमा योजना की निगरानी के लिए कमेटियां बनी होती हैं। आप इन कमेटियों के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

 * PMFBY हेल्पलाइन और पोर्टल: टोल-फ्री नंबर 14447 पर अपनी शिकायत दर्ज करें। PMFBY पोर्टल पर “Raise your Queries/Grievances” सेक्शन का उपयोग करें।

 * ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान: इस अभियान के तहत किसानों को उनकी पॉलिसी की हार्ड कॉपी दी जाती है। अपनी पॉलिसी की जानकारी सुरक्षित रखें, यह क्लेम के समय सबूत का काम करती है।

निष्कर्ष: अपने अधिकार को पहचानें और लाभ उठाएं

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के किसानों के लिए एक वरदान है। यह योजना इस बात की गारंटी है कि प्रकृति की मार पड़ने पर भी किसान की आर्थिक सुरक्षा बनी रहेगी।

याद रखें:

 * बुवाई से पहले अपना बीमा ज़रूर करा लें (अंतिम तिथि का ध्यान रखें)।

 * फसल खराब होने पर 72 घंटे के भीतर ज़रूर सूचित करें।

 * सूचना देते समय खसरा नंबर और नुकसान की तस्वीरों का उपयोग करें।5. क्लेम में देरी या समस्या होने पर क्या करें?

कई बार प्रशासनिक कमियों या डेटा बेमेल के कारण क्लेम मिलने में देरी हो सकती है। इस स्थिति में किसान इन उपायों का सहारा ले सकते हैं:

 * शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism): हर बीमा कंपनी और राज्य/जिला स्तर पर शिकायत निवारण के लिए नोडल अधिकारी होते हैं। किसान को सबसे पहले उन्हीं से संपर्क करना चाहिए।

 * जिला/राज्य स्तरीय समितियाँ: जिला और राज्य स्तर पर फसल बीमा योजना की निगरानी के लिए कमेटियां बनी होती हैं। आप इन कमेटियों के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

 * PMFBY हेल्पलाइन और पोर्टल: टोल-फ्री नंबर 14447 पर अपनी शिकायत दर्ज करें। PMFBY पोर्टल पर “Raise your Queries/Grievances” सेक्शन का उपयोग करें।

 * ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान: इस अभियान के तहत किसानों को उनकी पॉलिसी की हार्ड कॉपी दी जाती है। अपनी पॉलिसी की जानकारी सुरक्षित रखें, यह क्लेम के समय सबूत का काम करती है।

निष्कर्ष: अपने अधिकार को पहचानें और लाभ उठाएं

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के किसानों के लिए एक वरदान है। यह योजना इस बात की गारंटी है कि प्रकृति की मार पड़ने पर भी किसान की आर्थिक सुरक्षा बनी रहेगी।

याद रखें:

 * बुवाई से पहले अपना बीमा ज़रूर करा लें (अंतिम तिथि का ध्यान रखें)।

 * फसल खराब होने पर 72 घंटे के भीतर ज़रूर सूचित करें।

 * सूचना देते समय खसरा नंबर और नुकसान की तस्वीरों का उपयोग करें।

 6.     प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के सफल कार्यान्वयन में बीमा कंपनियों और बैंकों की ओर से कुछ कमियाँ अक्सर सामने आती हैं, जिनके कारण किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

यहाँ उन मुख्य कमियों का विवरण दिया गया है, जो विभिन्न रिपोर्ट्स और किसानों की शिकायतों के माध्यम से सामने आई हैं:

  1. बीमा कंपनियों की प्रमुख कमियाँ

फसल बीमा कंपनियों से जुड़ी सबसे बड़ी समस्याएँ दावे (Claims) के भुगतान में पारदर्शिता और समय पर कार्यवाही से संबंधित हैं:

| कमी (Drawback) | विवरण (Explanation) 

| दावे के भुगतान में अत्यधिक देरी | बीमा कंपनियों द्वारा दावों का भुगतान अक्सर फसल कटाई के निर्धारित समय (दो महीने) के बाद 3 से 14 महीने तक की देरी से किया जाता है। इससे किसान अगली फसल की बुआई के लिए समय पर पैसा प्राप्त नहीं कर पाते। |

| कम भुगतान या अस्वीकृति | कई किसानों को वास्तविक नुकसान के मुकाबले बहुत कम मुआवजा मिलता है, या उनके दावे को बिना किसी स्पष्ट कारण के खारिज कर दिया जाता है। |

| सर्वे में मनमानी और त्रुटि | नुकसान का आकलन करने वाले सर्वेयर (Surveyor) अक्सर या तो समय पर नहीं पहुँचते, या आकलन रिपोर्ट में जानबूझकर त्रुटियाँ करते हैं (जैसे फसल का प्रकार बदल देना), जिससे किसान को सही मुआवजा नहीं मिल पाता। |

| पारदर्शिता की कमी | किसान को यह पता नहीं चल पाता कि उनके प्रीमियम का उपयोग कैसे हो रहा है, नुकसान के आकलन की अंतिम रिपोर्ट क्या है, और दावे का हिसाब कैसे लगाया गया। |

| शिकायत निवारण में उदासीनता | टोल-फ्री नंबर पर शिकायतें दर्ज होने के बावजूद, उन पर समय पर कार्यवाही नहीं होती है, जिससे किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। |

| कम बीमा साक्षरता | कंपनियां किसानों को योजना की जटिलताओं और क्लेम फाइल करने की प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी (साक्षरता) नहीं देती हैं। |

 

  1. बैंकों की प्रमुख कमियाँ

बैंक, खासकर कर्ज लेने वाले (Loanee) किसानों के लिए, प्रीमियम कटौती और डेटा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहाँ निम्नलिखित कमियाँ देखी गई हैं:

| कमी (Drawback) | विवरण (Explanation) |

| जबरन प्रीमियम कटौती | कई बैंकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) या कृषि ऋण लेने वाले किसानों के खातों से उनकी स्पष्ट सहमति के बिना या उन्हें पूरी जानकारी दिए बिना प्रीमियम काट लिया जाता है। |

| प्रीमियम कंपनी को देर से भेजना | बैंक, किसानों के खाते से प्रीमियम काटने के बावजूद, उस प्रीमियम राशि को समय पर बीमा कंपनी को नहीं भेजते। इसके कारण क्लेम के समय किसान का बीमा रद्द हो जाता है या भुगतान अटक जाता है। |

| डेटा में गलती और अधूरापन | बैंक कर्मचारियों द्वारा बीमा पोर्टल पर किसान के नाम, खेत के खसरा नंबर, फसल के प्रकार या बैंक खाते के विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी गलत या अधूरी दर्ज कर दी जाती है। इससे क्लेम के भुगतान में बड़ी बाधा आती है। |

| फर्जी बीमा और धोखाधड़ी | कुछ जगहों पर बैंक अधिकारियों, एजेंटों और बिचौलियों की मिलीभगत से किसानों की जानकारी के बिना प्रीमियम काटकर फर्जी पॉलिसी बनाई जाती है, जिससे असली किसान लाभ से वंचित रह जाते हैं। |

| पॉलिसी की जानकारी न देना | प्रीमियम कटने के बाद भी बैंक किसान को बीमा पॉलिसी की कॉपी या प्रीमियम कटने का कोई संदेश/प्रमाण नहीं देते हैं। |

| पॉलिसी की जानकारी न देना | प्रीमियम कटने के बाद भी बैंक किसान को बीमा पॉलिसी की कॉपी या प्रीमियम कटने का कोई संदेश/प्रमाण नहीं देते हैं। |

इन कमियों के कारण, किसान प्रीमियम चुकाने के बावजूद, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में समय पर और पर्याप्त मुआवजा पाने से वंचित रह जाते हैं।

निष्कर्ष : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) तभी सफल होगी जब हर किसान इसका लाभ उठाएगा।

                                        प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल के लिए यहाँ क्लिक करे

 

 

 

 

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